लहरों पर सवार है युवाओं की जिंदगी
रामकुमार विद्यार्थी
युवाओं की ज़िंदगी मानो लहरों पर सवार है । इन लहरों की सवारी करते, चलते – टकराते युवा ज़िंदगी रूपी नदी मे सहारे की नाव पर सवार होकर निकल पड़े हैं अपने मंजिल के सफर पर..! मंजिल जो कुछ धुंधली सी दूर कहीं है शायद । अभी अपनी मंजिल के बारे मे कुछ साफ-साफ नहीं बता सकते हैं वे । ज़िंदगी के इस सफर मे उनके सामने रुकावटों के कई पत्थर हैं तो विश्वास से भरे अपनों के पुल भी । ये युवा अपने अगल – बगल से गुजरते दूसरे कई नावों को देखते बढ़े जा रहे हैं किन्तु अगले ही पल ठिठक भी जाते हैं, जब डगमगा उठती है उनकी नाव किसी अनजाने लहर या पत्थर से टकराकर ।
अपनी जीवन यात्रा को चित्रों मे अभिव्यक्त करते हुये रीवा के 25 वर्षीय राम दयाल कोल बताते हैं कि जब वे 13 साल के थे तब उनके माता-पिता उन्हें छोड़कर किसी दूसरे शहर रोजी- रोटी कमाने चले गए थे । पढ़ाई करते हुये उन्होने युवा अवस्था मे अपने दोस्तों के साथ मस्ती, शरारत और गलत आदतों के कारण काफी समय और पैसा बर्बाद कर दिया | दर असल उन्हें उस उम्र मे सही सलाह देने वाला कोई सच्चा साथी मिला ही नहीं , इसलिए जीवन का सपना या मंजिल क्या है यह सब कभी सोच- समझ ही नहीं पाये | राम दयाल अब संस्था विकास संवाद समिति के दस्तक युवा समूह से जुड़कर वंचित समुदाय के लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं | अब यही उनका सपना बन गया है कि वे अपने वंचित समुदाय के लिए कुछ बेहतर कर सकें ! सतना जिले के मझगंवा गाँव की निवासी 18 साल की निशा मवासी भी दस्तक युवा किशोरी समूह से जुड़ी हैं । वे कहती हैं कि मेरा सपना है कि एक अच्छा जीवन साथी मिले जो मुझे ठीक से समझ सके | मै खूब पढ्ना चाहती हूँ किन्तु 10 वीं मे पढ़ाई के दौरान मेरा एक्सीडेंट हो गया था जिससे पढ़ाई रुक गयी है | इधर अब घर वाले शादी की चिंता मे लग गए हैं इसलिए न जाने अब आगे क्या होगा |
ज़िंदगी के इस क्रम मे तमाम दूसरे युवा भी हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के जद्दोजहद मे असमंजस के बीच जीवन गुजार रहे हैं | यहाँ किसी को अपनी पढ़ाई कि चिंता है तो किसी को रोजगार की तो कोई भविष्य के जीवन साथी को लेकर तनाव मे है । बदलते दौर मे युवा इंटरनेट और वर्चुअल दुनिया मे बेशक खोता हुआ दिखाई दे रहा है किन्तु उसे आज सबसे अधिक अपनों की तलाश है | धनौजा गाँव पन्ना के ई वॉलंटियर मस्तराम गोंड के अनुसार युवाओं के सामने दो रास्ते आते हैं जिसमे एक तरफ अशिक्षा , बुरी आदत , लड़ाई झगड़ा , नशा होता है तो दूसरी तरह प्रेम , मित्रता , सच्चाई , ज्ञान का कठिन किन्तु सुखद सफर होता है | युवा सच्चाई और अच्छाई की राह पर चल सके इसलिए युवा अवस्था मे ही उन्हें सही परामर्श और साइबर सुरक्षा आदि जानकारी की जरूरत होती है जिसके अभाव मे युवा अक्सर भटक जाते हैं |
उमरिया जिले के आकाशकोट पहाड़ी अंचल मे रहने वाली 21 वर्षीय रोशनी सिंह अपनी जीवन यात्रा को खेत खलिहानों से गुजरती नदी के रूप मे प्रस्तुत करती हैं | वे किशोरावस्था मे अपने सहेलियों के साथ बिताए सुनहरे दिनों की याद करते हुये बताती है कि हम लोग सभी सहेलियाँ एक साथ पानी लेने दूर झिरिया तक जाते थे जहां अपने मन मे चल रहे बातों को भी एक दूसरे से साझा कर लिया करते थे | किन्तु अब हम बड़ी हो गयी हैं इसलिए घर से बाहर आना – जाना कम हो गया है , परिवार से अधिक गाँव की नजरें अब हम पर रहने लगी है | पठारीकला की बबीता मरावी के लिए गरीबी ज़िंदगी की वह बड़ी रुकावट है जिसके हटने का उसे इंतेजार है | उसके गाँव मे पथरीली मिट्टी और पानी की दिक्कतों के कारण खेती किसानी कमजोर है जिससे परिवार मे गरीबी बनी हुई है | बबीता कहती है कि हम कोई सपना देखें भी तो उसे पूरा कैसे करेंगे ? यहाँ तो पानी जैसी बुनियादी सुविधा का भी अभाव है | हालांकि इसका जवाब भी वह खुद ही देती है कि अब हम लोग पुराने झिरिया की मरम्मत और तालाब के सुधार का काम मिलजुलकर करने लगे हैं इससे पानी की समस्या कुछ हद तक हल होती दिख रही है |
खान्धु गाँव रीवा के युवा मणिलाल एक सफल व्यवसायी बनना चाहते हैं जिसके लिए उनकी दादी हौंसले का मजबूत पुल बनकर खड़ी हैं | माँ के गुजरने से लगा जैसे जीवन की नदी मे अचानक कोई बड़ा पत्थर आ गया हो तब से दादी ने ही पालन पोषण करते हुये उनकी नाव को सहारा देकर आगे बढ़ाया | रीवा के ही प्रकाश यादव जब एक साल के थे तभी उनके पिता ने उन्हें और माँ को घर से बाहर निकाल दिया था जिसके बाद से वे एक दूसरे नगर मे किराये से जीवन यापन करते आ रहे हैं | जीवन कि उस कठिन घड़ी मे माँ को एक एनजीओ का साथ मिला जिससे जुड़कर वे महिलाओं व बच्चों के हित मे कार्य कर रही है | इस तरह मेरी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का सपना माँ ने ही देखा | इसलिए माँ ही मेरे लिए भरोसे की वह नाव है जिसके सहारे मै अपनी ज़िंदगी के सफर पर चल रहा हूँ |
इसी तरह 23 वर्षीय रोशन के अनुसार उन्हें बात – बात पर बहुत गुस्सा आता था, मन मे चिढ़ सी होती थी जिसके कारण किसी से भी लड़ाई- झगड़ा हो जाता था | लेकिन कोविड के दौरान उन्होने जब अनुभव किया कि लोग बिना जान पहचान के भी एक दूसरे की बड़े प्रेम से मदद कर रहे हैं | तब से वे सबके साथ प्रेम से बर्ताव करने लगे हैं । इस तरह कुछ परिस्थितियाँ भी युवाओं के जीवन को बदलने का काम करती है । अपने अनुभव साझा करने वाले ये सभी युवा जीवन के चुनौतियों से जूझते हुये निरंतर आगे बढ़ रहे हैं | बावजूद इसके देश की बड़ी युवा आबादी को सरकार के सहारे यानि भरोसे के मजबूत पुल की दरकार बनी हुई है |
युवाओं को निजी और सामाजिक जीवन की चुनौतियों से जूझने के लिए जीवन कौशल से दक्ष करने सहित उनमे सामाजिक मूल्यों को बढ़ाने और सम्मानजनक अवसर देने की बात भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा नीति मे कही गयी है | सन 2014 से लागू युवा नीति का उद्देश्य है “ देश के युवाओं को अपनी पूर्ण क्षमताओं को विकसित करने के लिए सशक्त बनाना तथा उसके माध्यम से भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मे उसका सही स्थान दिलाना। ” अब जबकि इस नीति के आंकलन का समय आ पहुंचा है तब सरकार को यह देखना होगा कि उसने युवाओं के जीवन मूल्यों सहित समग्र विकास के लिए कितने अवसर प्रदान किए हैं | युवाओं से जुड़ी यह चिंता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश मे 15 से 29 वर्ष के युवाओं की आबादी 27.5 प्रतिशत है |