Press Release
मध्यप्रदेश के बजट-2023 के लिए मांगें
मप्र को बेहतर राज्य बनाने के लिए बजट में भेजे सुझाव
भोपाल: मप्र को बेहतर राज्य बनाने के लिए सामाजिक—नागरिक संस्थाओं की ओर से विकास संवाद ने बजट आवंटन के लिए प्रशासन को अपने सुझाव भेजे हैं। संचालक बजट को भेजे अपने सुझाव पत्र में कहा है कि सामाजिक आर्थिक विकास के लिए जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और समुदाय की नियोजन में नेतृत्वकारी भूमिका को बजट के माध्यम से पहचान दिए जाने की जरूरत है। मध्यप्रदेश की सामाजिक संस्थाओं ने अपने अनुभवों और जमीनी पहल से उभरी सीखों के माध्यम से वर्ष 2023-24 के बजट के लिए अपने सुझावों को संकलित किया है। विकास संवाद के निदेशक सचिन कुमार जैन का कहना है कि ये सभी सुझाव समाज और राज्य की बेहतरी के लिए मूलभूत है और इन्हें अपनाए बिना राज्य की अर्थव्यवस्था की नींव को मज़बूत नहीं किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य अर्थव्यवस्था को 550 बिलियन डालर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मध्यप्रदेश 7 सूत्रों पर काम करने की आवश्यकता होगी –
कुछ बिंदु
- सद्भावना और सौहार्द स्थापित करना
- गैर-जवाबदेहिता पर नियंत्रण, सामाजिक संपरीक्षा और व्यवस्था में पारदर्शिता लाना
- सभी महिलाओं के लिए मातृत्व हक़ और क्रेच की स्थापना
- प्राकृतिक संसाधनों का सामुदायिक सहभागिता के साथ जवाबदेय उपयोग
- शिक्षा, स्वास्थ्य पर अधिकतम आवंटन और महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित करना
- पंचायत विकास प्रतिवेदन और पंचायतों के स्तर पर सूक्ष्म नियोजन की व्यवस्था बनाना और उसका सम्मान करना
- मध्यप्रदेश बजट व्यय के सम्बन्ध में देखा जा रहा है कि कुछ विभाग आवंटित बजट का जिम्मेदारी और जवाबदेहिता के साथ उपयोग नहीं करते हैं. हर विभाग को तय मदों में आवंटित बजट के रचनात्मक और परिणामदायक उपयोग की जिम्मेदारी दी जाना चाहिए.
कुछ बिंदु विभागवार
- ग्राम पंचायत विकास योजना में सामाजिक विकास, सामाजिक सशक्तिकरण, लैंगिक समानता के विषयों के लिए बजट आवंटित किये जाएँ. पोषण वाटिका, नाडेप और पशुधन, खेल का व्यवस्थित मैदान, पारम्परिक बीज बैंक, गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं के लिए पोषण और देखरेख सरीखे विषयों के लिए कम से कम 2 लाख रुपये प्रति पंचायत का बजट आवंटित किया जाए.हर ग्राम पंचायत की सामाजिक-आर्थिक विकास रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाए. इसी रिपोर्ट के आधार पर ग्राम विकास योजना के लिए सूक्ष्म नियोजन करने का अधिकार प्रदान किया जाए. इसके लिए 25 हज़ार रुपए के बजट का आवंटन किया जाए.
- पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण को गंभीरता के साथ स्वीकार किया जाए. पंचायत प्रतिनिधियों के 5 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए बजट आवंटित किया जाए.
- हर पंचायत स्तर पर एक पुस्तकालय के लिए रुपये 25000 का सालाना बजट हो.
- गांवों/पंचायतों में मौजूद जल संरचनाओं के रखरखाव और मरम्मत के लिए, पुरानी संरचनाओं को सुधारने हेतु भी 25000 का बजट प्रति पंचायत हो.
- पशुओं को आवारा छोड़ने की समस्या पिछले सालों में उभरी है जिससे कृषि का बहुत नुकसान हो रहा है, चारागाह विकास हेतु भी बजट आवंटन होना चाहिए.
- भारत के संविधान को लागू हुए 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस वर्ष से जागरूकता, शिक्षण-प्रशिक्षण अभियान आरम्भ किया जाना चाहिए. स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, शहरी और ग्रामीण निकायों में संविधान के मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम बनाये और लागू किये जाने चाहिए.
- 50 हज़ार शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा को वास्तविक सन्दर्भ में पूरा करने के लिए बजट का आवंटन किया जाए.
- राज्य शिक्षा सेवा (स्टेट एजुकेशन सर्विसेस) की व्यवस्था बनाना चाहिए.
- स्कूलों में माह में एक बार संविधान पर बाल सभा के लिए बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए. हर स्कूल में संविधान की उद्देशिका भी उकेरी जाना चाहिए.
- मई 2021 में राज्य पोषण नीति को स्वीकृति दे दी थी, लेकिन अब तक कोई संसाधन/बजट आवंटित नहीं किये गए हैं. नीति के क्रियान्वयन के लिए बजट आवंटित किया जाए.
- बच्चों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण पोषण आहार उपलब्ध करवाने के प्रति हितग्राही कम से कम 15 रुपये का आवंटन किया जाना चाहिए.
- पोषण आहार कार्यक्रम के लगभग 70 लाख हितग्राही हैं. अतः आवंटन इस संख्या के मान से ही किया जाना चाहिए.
- आंगनवाड़ी केन्द्रों को क्रेच में परिवर्तित करने के लिए बजट प्रावधान किया जाएँ.
- लगभग 30 लाख महिलाओं को मातृत्व लाभ (आराम, स्वास्थ्य जांच, परामर्श और कम से कम छः माह के लिए पूर्ण न्यूनतम मजदूरी के बराबर की राशि की सहायता) की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 30 प्रतिशत महिलाओं को यह लाभ मिल पाता है.
- मध्यप्रदेश में प्रधानमन्त्री मातृत्व वंदना योजना और मुख्यमंत्री प्रसूति योजना का संचालन हो रहा है. एक ही विषय पर दो योजना के होने से समन्वय नहीं हो पाता है. अतः मध्यप्रदेश सरकार को एक समग्र मातृत्व लाभ योजना का निर्माण करना चाहिए. इसके माध्यम से सभी महिलाओं (उनके अलावा, जिन्हें शासकीय, अर्ध शासकीय या निजी क्षेत्र में पूर्ण प्रसूति लाभ मिलता है) के लिए ऐसी योजना संचालित करना चाहिए. वर्ष 2023-24 में इस समग्र योजना के लिए प्रावधान किया जाएँ.
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाने का तेल और दाल भी उपलब्ध करवाई जाए.
- वर्ष 2021 की जनसँख्या (यह जानकारी समग्र मिशन और आधार पंजीयन से हासिल हो सकेगी) के आधार पर 75 प्रतिशत जनसँख्या को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल किये जाने की व्यवस्था की जाना चाहिए.
- खाद्य, पोषण सुरक्षा और मातृत्व हक़ योजनाओं के सोशल आडिट के लिए प्रति पंचायत/प्रति वार्ड 40 हज़ार रुपये का प्रावधान किया जाना चाहिए.
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत चिंताजनक है. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग डाक्टरों के सभी पद भरने की प्रतिबद्धता दर्शाए और मध्यप्रदेश शासन इसके लिए आवश्यक बजट उपलब्ध करवाए.